Description
About Puja (भूमि पूजन – पूजा का परिचय) :-
भूमि पूजन एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिंदू संस्कार है, जो किसी भी नए निर्माण कार्य, जैसे घर, दुकान, मंदिर या अन्य किसी भी निर्माण की शुरुआत से पहले किया जाता है। यह पूजा भूमि की शुद्धि और उसके द्वारा दिए जाने वाले आशीर्वाद के लिए की जाती है ताकि निर्माण कार्य में कोई विघ्न न आए और कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न हो। भूमि पूजन के माध्यम से हम पृथ्वी के तत्वों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे नए निर्माण कार्य में समृद्धि, खुशहाली और संतुलन बना रहता है।
Benefits (भूमि पूजन का महत्व) :-
भूमि पूजन का प्रमुख उद्देश्य भूमि की शुद्धि और उसे शुभ बनाने का होता है, जिससे किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके। यह पूजा भगवान के आशीर्वाद के रूप में समृद्धि, सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है। भूमि पूजन से न केवल निर्माण कार्य की शुरुआत होती है, बल्कि इसमें भूमि पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
भूमि पूजन के दौरान विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, विशेष रूप से भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, और भगवान शिव की पूजा की जाती है ताकि कार्य में कोई विघ्न न आए और सफलतापूर्वक सम्पन्न हो। पूजा में मंत्रोच्चारण, हवन, फल, फूल और अन्य पूजन सामग्री का समर्पण किया जाता है।
Process (भूमि पूजन का प्रक्रिया) :-
- पवित्रता की स्थापना – पूजा स्थल को साफ किया जाता है और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है।
- गणेश पूजा – सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि कोई विघ्न न आए।
- सिद्धि पूजा – भूमि के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को शुद्ध करने के लिए सिद्धि पूजा की जाती है।
- हवन यज्ञ – हवन का आयोजन किया जाता है ताकि शुभ कार्य की शुरुआत के लिए वातावरण को शुद्ध किया जा सके।
- दक्षिणा और आशीर्वाद – अंत में ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है और आशीर्वाद लिया जाता है।
भूमि पूजन से भूमि पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है और नए निर्माण कार्य की शुरुआत शुभ होती है। यह एक ऐसा संस्कार है जो हर निर्माण कार्य की सफलता और शांति के लिए जरूरी माना जाता है।
Puja Samagri :-
भूमि पूजन के लिए पूजन सामग्री – SHRADDHA द्वारा दी जाने वाली सामग्री:
पूजन सामग्री:
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना (बड़ा साइज), पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती, लाल वस्त्र
- तीर्थ स्थान की मिट्टी
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र:
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी, गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र (कटोरी या भगोनी)
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न (आवश्यकतानुसार)
- फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार)
- दूर्वादल (घास) – 1 मुठ्ठी
- पान का पत्ता – 7
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 (विभिन्न प्रकार की)
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- तुलसी पत्र – 7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2
- अखण्ड दीपक – 1
- देवताओं के लिए वस्त्र (गमछा, धोती आदि)
- बैठने हेतु दरी, चादर, आसन
- गोदुग्ध, गोदधि, गोबर
- शिला – 5
- गीता या हनुमान चालीसा – 1
- पानी वाला नारियल
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- एक जोड़ी नाग नागिन – 1
यह पूजन सामग्री भूमि पूजन के लिए आवश्यक है, जो घर में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती है। SHRADDHA इस पूजन को विधिपूर्वक सम्पन्न करने के लिए सभी आवश्यक सामग्री प्रदान करती है।
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